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गीत बन गया

देखने दुनिया का मेला

मैं चला तनहा अकेला
राह में साथी मिले और
गीत मेरा बन गया।

सुबह की अंगड़ाइयाँ ली
शाम की तन्हाइयां ली
और मेहनत दिन से ली तब
गीत मेरा बन गया।

मंजिलों की ओर देखा
रास्तों का साथ पकड़ा
मेहनतों के पग बढ़ाये
गीत मेरा बन गया।

कवि तो मैं था नहीं पर
एक दिन देखा तुम्हें 
फिर राम जाने क्या हुआ पर
गीत मेरा बन गया।।



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10 Comments

Neha syed

16-May-2022 04:04 PM

Nice

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Anshumandwivedi426

20-May-2022 11:12 PM

सादर धन्यवाद

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Haaya meer

15-May-2022 11:49 PM

Very nice

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Anshumandwivedi426

16-May-2022 12:54 AM

So much thanks

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Sachin dev

15-May-2022 11:24 PM

Nice

Reply

Anshumandwivedi426

16-May-2022 12:54 AM

Thanks

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